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चत्वारिंशत्त्रिकोणे चतुरधिकसमे चक्रराजे लसन्तीं

सा नित्यं रोगशान्त्यै प्रभवतु ललिताधीश्वरी चित्प्रकाशा ॥८॥

चक्रेश्या पुर-सुन्दरीति जगति प्रख्यातयासङ्गतं

कन्दर्पे शान्तदर्पे त्रिनयननयनज्योतिषा देववृन्दैः

षोडशी महाविद्या : पढ़िये त्रिपुरसुंदरी स्तोत्र संस्कृत में – shodashi stotram

ऐसा अधिकतर पाया गया है, ज्ञान और लक्ष्मी का मेल नहीं होता है। व्यक्ति ज्ञान प्राप्त कर लेता है, तो वह लक्ष्मी की पूर्ण कृपा प्राप्त नहीं कर सकता है और जहां लक्ष्मी का विशेष आवागमन रहता है, वहां व्यक्ति पूर्ण ज्ञान से वंचित रहता है। लेकिन त्रिपुर सुन्दरी की साधना जोकि श्री विद्या की भी साधना कही जाती है, इसके बारे में लिखा गया है कि जो व्यक्ति पूर्ण एकाग्रचित्त होकर यह साधना सम्पन्न कर लेता है उसे शारीरिक रोग, मानसिक रोग और कहीं पर भी भय नहीं प्राप्त होता है। वह दरिद्रता के अथवा मृत्यु के वश में नहीं जाता है। वह व्यक्ति जीवन में पूर्ण रूप से धन, यश, आयु, भोग और मोक्ष को प्राप्त करता है।

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देवस्नपन दक्षिण वेदी – प्राण प्रतिष्ठा विधि

The story is actually a cautionary tale of the strength of motivation along with the necessity to establish discrimination by way of meditation and adhering to the dharma, as we development in our spiritual route.

श्रीचक्रान्तर्निषण्णा गुहवरजननी दुष्टहन्त्री वरेण्या

The name “Tripura” usually means the 3 worlds, plus the phrase “Sundari” usually means essentially the most lovely lady. The name on the Goddess only usually means quite possibly the most beautiful Girl while in the 3 worlds.

वन्दे तामष्टवर्गोत्थमहासिद्ध्यादिकेश्वरीम् ॥११॥

The intricate connection in between these groups as well as their respective roles click here from the cosmic get can be a testomony into the prosperous tapestry of Hindu mythology.

बिभ्राणा वृन्दमम्बा विशदयतु मतिं मामकीनां महेशी ॥१२॥

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